वनीला ( Vanilla ) .....केसर के बाद दुनिया का दूसरा सबसे कीमती मसाला

वनीला ( Vanilla )
 पूरी दुनिया में जितनी भी आइस्क्रीम बनती है, उसमें से 40% 'वनीला' फ्लेवर की होती हैं। सिर्फ आइस्क्रीम ही नहीं बल्कि केक, कोल्ड ड्रिंक, परफ्यूम और दूसरे ब्यूटी प्रोडक्ट्स में भी इसका काफी यूज होता है। वनीला की कई देशों में काफी डिमांड है। पिछले कुछ सालों में वनीला की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। 2015 में वनीला बीन्स 11500 रु प्रति किलो थी, जो 2016 में बढ़कर 14500 रु और 2017 में 24 हजार रु तक पहुंच गई। पिछले दिनों मैडागास्कर में आए चक्रवातीय तूफान के चलते इस साल वनीला की कीमतें 40 हजार रु प्रति किलो तक आ गई हैं। दुनिया का 75% वनीला 'मैडागास्कर' में ही पैदा होता है। इंडिया में इसकी कीमत ऊपर-नीचे होती रहती है।भारत में 1 किलो वनीला खरीदने पर आपको 40 हजार रुपए तक देना पड़ सकते हैं। ब्रिटेन बाजार में 600 डॉलर प्रति किलो तक पहुंच गया है। भारत में इस समय चांदी 43,200 रुपए प्रति किलो की रेट से बिक रहा है तो ब्रिटेन के मार्केट में चांदी 530 डॉलर (35,500 रुपए) प्रति किलो के भाव से बिक रहा है।

नीला आर्किड परिवार का मेम्बर है। यह एक बेल पौधा है, जिसका तना लंबा और बेलनकार होता है। इसके सुगंधित और कैप्सूल के जैसे होते हैं। फूल सुखाने पर खुशबूदार हो जाते हैं और एक फल से कई सारे बीज मिलते हैं।


 खेती के लिए क्या हैं जरूरी बातें
  
वनीला की बेल लगाने के लिए कटिंग या बीज दोनों का इस्तेमाल किया जा सकता है हालांकि बीज का इस्तेमाल ज्यादा नहीं किया जाता क्योंकि इसके दाने छोटे होते हैं और उगने में बहुत ज्यादा समय लगता है।
बेल लगाने के लिए मजबूत और स्वस्थ कटिंग को चुना जाता है।

जब वातावरण में नमी हो तब आप इसकी कटिंग को लगा सकते हैं। लगाने से पहले गड्ढे बनाकर उनमें पूरी तरह से गली सड़ी खाद डाली जाती है। कटिंग को मिट्टी में दबाने की जरूरत नहीं होती। सतह के ऊपर बस थोड़ी सी खाद और पत्तों से ढक दिया जाता है, कटिंग की दूरी 8 फिट रखी जाती है।

सहारे के लिए पेड़ या 7 फिट लम्बे लकड़ी या सीमेंट के पिलर लगाए जाते हैं। बेल को फैलने के लिए तार बांधी जाती है। खेत में लगा रहे हैं तो एक एकड़ में 2400 से 2500 बेल होना चाहिए।

वनीला की फसल को ह्यूमिडिटी, छाया और मध्यम तापमान की जरूरत होती है।

आप ऐसा वातावरण बना सकते हैं। शेड हाउस बनाकर फव्वारा विधि से ऐसा किया जा सकता है।

तापमान 25 से 35 C तक होना पैदावार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

पेड़ों से छनकर जो रोशनी आती है वो वनीला की फसल के लिए ज्यादा अच्छी मानी जाती है।

आपके खेत में बहुत सारे पेड़ या बाग है तो आप इंटरकोर्प की तरह इसकी खेती आसानी से कर सकते हैं।
वनीला की फसल 3 साल बाद पैदावार देना शुरू करती है

लगाने की क्या है प्रॉसेस...कैसी होना चाहिए मिट्टी

वनीला की खेती के लिए मिट्टी भुरभुरी और जैविक पदार्थों से भरपूर होना चाहिए। आप एक्सपर्ट से जांच करवाकर यह पता कर सकते हैं कि आप जिस क्षेत्र वनीला लगाने जा रहे हैं, वहां की मिट्टी की क्वालिटी कैसी है।

वनीला की खेती में पानी का ठहराव नहीं होना चाहिए।

जमीन की ph 6.5 से 7.5 तक होनी चाहिए। इससे पहले मिट्टी की जांच करवानी चाहिए।

जांच में अगर जैविक पदार्थों की कमी पता चले तो गली सड़ी गोबर की खाद, केंचुए की खाद यहां डाली जा सकती है।
 

फसल लगाने के बाद क्या करें

खेत में गोबर से तैयार खाद, केंचुए की खाद, नीम कके आदि डालते रहना चाहिए।

2 दिन के अंतर से फव्वारा विधि या टपका विधि से पानी देना चाहिए।

 खेत में एफवायएम, गोबर की खाद, केंचुए की खाद आदि डालते रहना चाहिए।

1 किलो एनपीके को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए।
बैल को तारों के ऊपर फैलाया जाता है। इसी ऊंचाई 150 सेमी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

 फूल से लेकर फलियां पकने तक में 9 से 10 माह का समय लग जाता है।

 वनिला को पूरी तरह पकाने के लिए क्युरिंग, स्वेटिंग, ड्राइंग और कंडिशनिंग की प्रॉसेस से निकलना होता है। इसके बाद वनीला तैयार होता है।

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