नारियल
माना जाता है कि नारियल का इंग्लिश नाम 'कोकोनट ' 16 वी सदी में पुर्तगाली नाविकों ने दिया उन्होंने नारियल की तीन आँखो को देखा तो उसका नाम कोको रख दिया क्योकि यह देखने में इंसान के चहरे से मिलता -जुलता था कोको का पुर्तगाली में मतलब होता है मुस्कुराता हुआ चेहरा बाद में इसमें नट शब्द जोड़ दिया गया अपने देश में सबसे ज्यादा नारियल तमिलनाडु ;केरला ;कर्नाटका ;आंध्रप्रदेश में पैदा होता है
नारियल की 3 स्टेज होती है
1. कच्चा या पानी वाला नारियल
यह नारियल की शुरुआती स्टेज होती है इसे डाब या इंग्लिश में टेंडर कोकोनट कहा जाता हैं पोलिनेशन के करीब 9 महीने बाद पानी वाला नारियल तैयार हो जाता है कई बार इसमें पानी के अलावा हल्की मलाई भी होती है इसे पीना बहुत फायदेमंद है
फायदे
यह एक शुद्ध ड्रिंक है जिसमे किसी तरह की मिलावट नहीं होती इसमें मौजूद इलेक्ट्रोलाइट उसी अनुपात में है जैसे हमारे शरीर में होते है डी -हाइड्रेशन या दस्त आदि में निम्बू -चीनी के घोल से भी ज्यादा फायदेमंद है नारियल पानी इसमें मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम ब्लड सर्कुलेशन ,हार्ट से लेकर मसल्स आदि तक के लिए अच्छे है यह माइक्रोबियल है जो पेट में मौजूद यीस्ट ग्रोथ को खत्म करता है ,जिसमे मुहासे हटाने और इम्युनिटी बढ़ाने में मदद मिलती है यह पेट में मौजूद कीड़ो को मारने का काम करता है एक्सरसाइज या मेहनत का काम करने के बाद नारियल पानी पीने से पसीने से निकलने वाले साल्ट्स की भरपाई होती है इसमें कुदरती मीठापन होता है इसलिए शुगर के मरीज भी ले सकते है थकान होने पर भी इसे पीना फायदेमंद है क्योकि यह एनर्जी का है शरीर को ठंडा रखता है लू लगने पर मरीज को देना फायदेमंद है यूरिनरी ट्रक इन्फेक्शन सेअच्छा सोर्स है इसे पीकर तरोताजा भी हो जाते हैं यह आसानी से पच जाता है इसलिए छोटे बच्चो को भी दे सकते है लड़ने में मददगार हो सकता है किडनी के स्टोन को निकालने मे भी मददगार साबित हो सकता है
नुकसान
डायलिसिस स्टेज पर पहुंच चुके किडनी के मरीजों ,यानि जिन्हे डॉक्टर ने लिमिट में पानी पिने की सलाह दी है उन्हें इससे परहेज करना चाहिए लोग यह सोचकर खूब सारा नारियल पानी पीते है कि इसमें कैलोरी नहीं होती ,जबकि एक कप (250 मि.ली )नारियल पानी में करीब 45 -50 कैलोरी होती है दिन भर में दो नारियल पानी तक ही लिमिट रहे तो बेहतर है कुछ लोग कहते है कि यह सम्पूर्ण भोजन है ;जोकि सही नहीं है इसमें प्रोटीन कम मात्रा में होता है और फाइबर लगभग नहीं होता पानी के साथ -साथ निम्बू पानी ,छाछ आदि तो भी डाइट में शामिल करे इसके भी अपने फायदे है नेचुरल नारियल पानी ही पिए ;पैक्ड नारियल पानी फायदेमंद नहीं है इमें कई तरह की चीजे जैसे कि प्रीजर्वेट, शुगर, फ्लेवर आदि मिलते हैं।
वैसे नारियल पानी कभी भी पी सकते है फिर भी खाली पेट पीना ज्यादा फायदेमंद है साथ ही दो भोजन के बीच स्नैक्स की तरह ले सकते है खाने के साथ न ले
2.गिरी वाला या जटा वाला नारियल
डाब के बाद गिरी वाला नारियल बनता है इसमें पानी की मात्रा काफी कम हो जाती है और बड़ जाता है पोलिनेशन के करीब 12 महीनो में नारियल में गिरी तैयार हो जाती है इसे शुभ कामों आदि में इस्तेमाल किया जाता है फैट की मात्रा बढ़ जाने से इसे कम मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है
फायदे
इसमें अच्छी मात्रा में फाइबर,विटामिन और मिनरल होते है यह एंटी - बैक्टीरियल और एंटी -वाइरल है फाइबर ज्यादा होने से पाचन से जुड़ी गड़बड़ियों में फायदेमंद है फ़ौरन एनर्जी देने से दूध पिलाने वाली माओं के लिए लाभदायक बढ़ते बच्चो के लिए भी अच्छा है
नुकसान
इसमें फैट ज्यादा होता है इसलिए वजन बढ़ने की आशंका होती है सैचुरेटेड फैट ज्यादा होने से दिल के लिए खतरा बढ़ता है यह कम एक्सरसाइज करने या बैठ कर काम करने वाले लोग इसे कम मात्रा में और कभी -कभी ले
3 सूखा नारियल या खोपरा:
इसे गोला भी कहते हैं। यह नारियल की तीसरी स्टेज होता है। पानी में नहीं होता है। मुख्य रूप से यह तेल निकालने के लिए उपयोग होता है। मिठाई आदि में भी स्वाद वृद्धि के लिए इसे इस्तेमाल किया जाता है। इसमें फैट की मात्रा काफी ज्यादा होती है, इसलिए इसके सेवन कम करना चाहिए।
इसे गोला भी कहते हैं। यह नारियल की तीसरी स्टेज होता है। पानी में नहीं होता है। मुख्य रूप से यह तेल निकालने के लिए उपयोग होता है। मिठाई आदि में भी स्वाद वृद्धि के लिए इसे इस्तेमाल किया जाता है। इसमें फैट की मात्रा काफी ज्यादा होती है, इसलिए इसके सेवन कम करना चाहिए।
गिरी या खोपरा, क्या बेहतर?
नारियल की गिरी में हल्का मॉइस्चर भी होता है, जबकि सूखे नारियल में तेल बहुत ज्यादा होता है। गिरी और खोपरा में फाइबर अच्छी मात्रा में होता है। फिर भी गिरी कम मात्रा में ही खानी चाहिए क्योंकि इसमें फैट काफी होता है। सूखा नारियल और भी कम मात्रा में खाना चाहिए क्योंकि इसमें शामिल है सैचुरेटिड फैट काफी ज्यादा होता है। हां, मिठाइयों में स्वाद वृद्धि के लिए कम मात्रा में इसका उपयोग कर सकते हैं। दूध पिलाने वाली मांओं के लिए लड्डू आदि भी बना सकते हैं। हालांकि खोपरे की तासीर गर्म मानी जाती है इसलिए यह गर्मियों में कम खाना चाहिए
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