अपराजिता के फूलों से बनी ब्लू टी |
चाय एक ऐसी सौगात है जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी 1800 शताब्दी में ब्रिटेन से भारत में अपने साथ लाई अंग्रेज़ो ने दार्जलिंग,शिमला जैसे ठन्डे पहाड़ी इलाको में अपने साथ लाये चाय के पौधे लगाए और भारत में चाय बागान आस्तित्व में आये तब से लेकर अब तक हमारे देश में ज्यादातर लोगों की जुबान पर चाय के स्वाद का ऐसा चस्का लगा हुआ है कि उनके दिन की शुरूआत बगैर चाय के होती ही नहीं है कुछ लोग दूधवाली चाय पीते हैं तो कुछ लोगों को 'ग्रीन टी 'और 'ब्लैक टी' का स्वाद बहुत भाता है वैसे जो लोग अपनी सेहत का खास ख्याल रखते हैं वो लोग अक्सर ग्रीन टी पीना पसंद करते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसी चाय के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका सेवन करने के बाद आप ग्रीन टी और ब्लैक टी पीना शायद पसंद भी नहीं करेंगे दिनभर की भागदौड़ से होने वाली थकान और तनाव को दूर करने के लिए ज्यादातर भारतीय गरमा-गरम चाय की चुस्की लेना पसंद करते हैं लेकिन अगर आप थकान और तनाव को झट से दूर भगाना चाहते हैं तो आपको अपराजिता के फूलों से बनी चाय ( BLUE TEA ) का इस्तेमाल करना चाहिए अपराजिता के फूल देखने में जितने खूबसूरत होते हैं उसके उतने ही बेमिसाल फायदे बताए गए हैं इस फूल में खूबसूरती और सेहत का राज छुपा हुआ है इसलिए इसके इस्तेमाल से आप खुद को सेहतमंद बनाने के साथ ही अपने मूड को भी फ्रेश बना सकते हैं 'अपराजिता' का फूल केवल देखने में ही सुन्दर नहीं है ये आप की सेहत का भी दोस्त है एक स्टडी के मुताबिक एक कप ब्लू टी आप की ओवरआल हेल्थ के लिए फायदेमंद है
ये ब्लू टी एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने में सहायक है रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होने से बीमारिया जल्दी नहीं होती ब्लू टी पीने से कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है और दिल से जुडी बिमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है इसके आलावा अगर आपको ज्यादा पसीना आता है तो और आप पसीने की बदबू से परेशान है तो ब्लू टी पीना फायदेमंद हो सकता है क्योंकि ये पसीने में बदबू पैदा करने वाले बैक्टिरिया को पनपने नहीं देती
ये ब्लू टी एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने में सहायक है रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होने से बीमारिया जल्दी नहीं होती ब्लू टी पीने से कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है और दिल से जुडी बिमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है इसके आलावा अगर आपको ज्यादा पसीना आता है तो और आप पसीने की बदबू से परेशान है तो ब्लू टी पीना फायदेमंद हो सकता है क्योंकि ये पसीने में बदबू पैदा करने वाले बैक्टिरिया को पनपने नहीं देती
' ब्लू टी ' बनाने का सही तरीका
आजकल ' ब्लू टी खूब ' पसंद की जा रही आप अपने दिनभर की थकान मिटाने के लिए अपराजिता के फूलों से बनी चाय का इस्तेमाल कर सकते हैं इस फूल से बनी चाय ना सिर्फ आपके थकान को दूर करती है बल्कि आपको सेहतमंद भी बनाए रखती है आप अपने घर में गमले में अपराजिता का पौधा लगा ले ताकि आपको चाय के लिए ताज़े फूल मिलते रहे अगर ऐसा करना संभव न हो तो आप इन नीले फूलो को तोड़कर धूप में सूखा कर इकठ्ठा कर के भी रख सकते है और फिर जब चाहे इसका इस्तेमाल कर सकते है सबसे पहले पानी को गर्म करके उसमें एक चम्मच चीनी और अपराजिता का एक फूल डालें फूल डालते ही पानी का रंग बदलने लगता है कुछ ही देर में पानी का रंग नीला हो जायेगा इस तरह से बनाया गया आप चीनी की जगह शहद और बिना मसाले के गुड़ का प्रयोग भी कर सकते है इस नीली चाय की पहली ही चुस्की आप को तरोताज़ा कर देगी ये 'ब्लू टी ' स्वाद और सेहत के मामले में किसी भी ग्रीन टी को मात दे सकती है बहरहाल अपराजिता के फूलों में छुपे इस औषधिय गुण का फायदा पाने के लिए अगर आप ब्लू टी का सेवन शुरू करेंगे तो यकीनन इसके स्वाद के सामने ग्रीन टी और ब्लैक टी का स्वाद बेस्वाद लगने लगेगा
खाने में रंग बदलने के लिए करें इस्तेमाल
अगर आप अपने खाने के कलर में बदलाव करना चाहते हैं तो अपराजिता के फूलों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए इस फूल को सूखाकर उसका पावडर बना लें अब जिस भी खाने का रंग आपको बदलना है उसमें एक चम्मच इस पावडर को मिला लें. इससे आपके खाने का रंग बदल जाएगा और स्वाद भी बढ़ जाएगा आप इसका बेहतर प्रयोग पुलाव या बिरयानी में चावलों का रंग बदलने के लिए कर सकते है
सुंदरता में निखार लाने के लिए
ठंडक देने वाला शरबत भी बना सकते है
रंगबिरंगा शरबत बनाने के लिए आप अपराजिता के फूलों को सूखाकर बनाये पाउडर का प्रयोग करे इस पाउडर एक चम्मच पाउडर चीनी के साथ पानी में मिलाएं। इसके बाद पानी का रंग नीला हो जाएगा। यदि आप शरबत का रंग गुलाबी करना चाहते हैं तो इसमें एक नींबू भी निचोड़ें। इससे इसका रंग बदल जायेगा और इच्छानुसार बर्फ मिला कर सर्व करे आजकल बाजार में मिलाने वाले कृत्रिम रंगो वाले पेय हमारे शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकते है ऐसे में अपराजिता के फूलो के प्राकृतिक नीले रंग से तैयार शरबत आपको चिलचिलाती गर्मी में ठंडक प्रदान करेगा और आपके शरीर को जहरीले केमिकल युक्त खाद्य कलर से होने वाले नुकसान से भी बचाएगा
अपराजिता के औषधीय गुण और आध्यात्मिक महत्त्व
अपराजिता का तात्पर्य है जिसे कभी भी पराजित न लिया जा सके अपराजिता का वनस्पति Clitoria Ternatea है ये एक खरपतवार है अपराजिता लता वाला पौधा है। इसके आकर्षक फूलों के कारण इसे लान की सजावट के तौर पर भी लगाया जाता है। ये इकहरे फूलों वाली बेल भी होती है और दुहरे फूलों वाली भी। फूल भी दो तरह के होते हैं - नीले और सफेद बंगाल या पानी वाले इलाकों में अपराजिता एक बेल की शक्ल में पायी जाती है। इसका पत्ता आगे से चौडा और पीछे से सिकुडा रहता है। इसके अन्दर आने वाले स्त्री की योनि की तरह से होते है इसलिये इसे ’भगपुष्पी’ और ’योनिपुष्पी’ का नाम दिया गया है। इसका उपयोग काली पूजा और नवदुर्गा पूजा में विशेषरूप में किया जाता है। जहां काली का स्थान बनाया जाता है वहां पर इसकी बेल को जरूर लगाया जाता है। गर्मी के कुछ समय के अलावा हर समय इसकी बेल फूलों से सुसज्जित रहती है अपराजिता पौधे की पत्तियां उज्ज्वल हरी और उज्ज्वल नीले रंग की होती है. इसके फूल का रंग सफेद होता है ये कभी-कभी शंख रूप में उगता है फूल वातावरण को खुशनुमा बनाते हैं। घर में फूल रखने से जहां साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है वहीं इनकी सुगंध से तन-मन शांत होता है। संस्कृत में इसे आस्फोता, विष्णुकांता, विष्णुप्रिया, गिरीकर्णी, अश्वखुरा कहते हैं जबकि हिन्दी में कोयल और अपराजिता। बंगाली में भी अपराजिता, मराठी में गोकर्णी, काजली, काली, पग्ली सुपली आदि कहा जाता है। गुजराती में चोली गरणी, काली गरणी कहा जाता है। तेलुगु में नीलंगटुना दिटेन और अंग्रेजी में मेजरीन कहा जाता है ये भारत, मिस्र, अफगानिस्तान, फारस, मेसोपोटामिया, इराक आदि के सभी भागों में पाया जाता है अपराजिता पौधे के सभी भागों को औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं अपराजिता पौधा सामान्य तौर पर आयुर्वेद के 'पंचकर्म उपचार ' में प्रयोग किया जाता है आयुर्वेद का पंचकर्म उपचार शरीर में से टॉक्सिन्स को निकालकर शरीर के संतुलन में सहायता करता है नीले रंग के फूल वाला पौधा तो आसानी से मिल जाता है पर श्वेत अपराजिता का पौधा मिलना कठिन है हालांकि श्वेत आंकड़ा और लक्ष्मणा का पौधा भी श्वेत अपराजिता के पौधे की तरह धनलक्ष्मी को आकर्षित करने में सक्षम है। सफेद फूलों वाली अपराजिता बेल सांप के ज़हर का दुश्मन है। सांप का ज़हर शरीर में कहां तक प्रवेश किया है उसके आधार पर अपराजिता के साथ अन्य औषधियों को मिलाकर दिया जाता है। यह बुद्धि या दिमाग और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली है तथा सफेद दाग ( कोढ़ ), मूत्रदोष ( पेशाब की बीमारी ), आंवयुक्त दस्त, सूजन तथा जहर को दूर करने वाली है। अगर आप नवरात्र के दिनों में ऐसे पौधों को घर में लगाते है तो ये बहुत शुभ होता है शायद इसलिए ही इसे 'अपराजिता '' गया है क्योंकि ये पौधा कई रोगो को पराजित करने की क्षमता रखता है
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