अमृतसरी आलू कुलचा (stuffed kulcha recipe)

अमृतसरी आलू कुलचा,आलू की पिठ्ठी बनाकर,भर कर बनाया जाता है आलू भरे अमृतसरी कुलचे बनाने के लिए भी आटा समान्य कुलचे बनाने के लिए तैयार किये गए आटे के तरीके से ही लगाया जाता है आलू भरवा कुलचे (stuffed kulcha recipe) बनाने के लिए सबसे पहले हमे आटा तैयार करना होगा 

कुलचे के लिए सामग्री

मैदा -400 ग्राम (3 कप)
दही-3 टेबल स्पून
बेकिंग सोडा-1/3 छोटी चम्मच
बेकिंग पाउडर-आधा छोटी चम्मच
चीनी-1 छोटी चम्मच
तेल-1 टेबल स्पून
नमक-स्वादानुसार (3/4 छोटी चम्मच)
जीरा या आजवायन-1 छोटी चम्मच

आलू की पिठ्ठी के लिए सामग्री 

आलू-300 ग्राम (4 आलू उबले हुए)
नमक-स्वादानुसार (आधा छोटी चम्मच)
हरी मिर्च-1-2 (बारीक़ काट लीजिये)
अदरक-1 इंच लम्बा टुकड़ा (कदूकस कर लीजिये)
अमचूर पाउडर-आधा छोटी चम्मच
धनिया पाउडर-1 छोटी चम्मच
 लाल मिर्च-1-2 पिंच
गरम मसाला-एक चौथाई छोटी चम्मच से कम (यदि आप चाहे)
हरा धनिया-1 टेबल स्पून कतरा हुआ

अमृतसरी आलू कुलचा बनाने  की  विधि 

कुलचे के लिए आटा बनाइये 

मेदा को किसी थाली या डोंगे में छान कर निकाल लीजिये,बीच में हाथ से जगह बनाइये इस जगह में दही,बेकिंग सोडा और बेकिंग पाउडर,नमक,चीनी,तेल डालिये,सारी चीजों को हाथ से अच्छी तरह मिलाकर,मेदा में मिलाइये,गुनगुना पानी की सहायता से नमक चपाती के जैसे आटा गूँथे ( आटा गूंथेते समय पानी थोड़ा थोड़ा डाल कर मिलाइये। आटे का अच्छी तरह से मसल कर बार बार उठा उठा कर,पलट कर 5 मिनट तक गूँथिए ,आटे को एकदम चिकना कर लीजिये। गूँथे आटे को हाथ से चारो और तेल लगाइये और किसी गहरे प्याले में रखिये। प्याले को मोटी टॉवल से ढाकर गरम स्थान पर रख दीजिये ( गूंथा गया आटा 3-4 घंटे में फूल कर लगभग दुगना हो जाता है ),फुले हुए आटे को फिर से हाथ से दबा कर,पंच करके,पलट कर एक जैसा कर लीजिये। कुलचे के लिए आटा तैयार है 

पिठ्ठी तैयार कीजिये 

आलू को छील कर बारीक़ तोड़ लीजिये।हरी मिर्च,अदरक,धनिया पाउडर,अमचूर पाउडर लाल मिर्च,गरम मसाला और हरा धनिया डालिये सारी चीजों को अच्छी तरह मिला दीजिये,आलू की  पिठ्ठी कुलचे में भरने के लिए तैयार है

कुलचे बनाइये 

गुंथे गये आटे से 8-10 लोइया बनाकर तैयार कर लीजिये,आलू की पिठ्ठी से इतने ही गोले बनाकर तैयार कर लीजिये।

आटे की एक लोई उठाइये,सूखा मेदा लगाकर 3 इंच व्यास में बेलिया,इस पर एक आलू की पिठ्ठी का गोला रखिये,आलू के गोले को हाथ से दबा कर चपटा कीजिये और बेले गए कुलचे को चारो और से उठाकर आलू को बंद कर दीजिये।

आलू को बंद करके बनी लोई को सूखे मेदा में लपेटिये,दोनों हाथो की हथेलियी से दबाकर थोड़ा 3 इंच व्यास में एक जैसी मोटाई में बड़ा लीजिए। इस बड़े हुए कुलचे को थोडी सी सुखी मेदा लगाकर,चकले पर रखिये,बेलन की सहायता से 6-7 इंच व्यास में हल्का दबाब देते हुए बेलिये। बेले गए कुलचे के ऊपर,थोड़ी सी जीरा या आजवायन डालकर दबा कर चिपका दीजिये
आलू भरे कुलचे को ओवन,तंदूर या तवे जिस पर चाहते है बना सकते है 

तवे कर कुलचे बनाने के लिए तवा आग पर रख कर गरम कीजिये,तेल लगाकर तवे को चिकना कर लीजिये,बोर्ड से कुलचा उठाइये और जीरा की सतह ऊपर करते हुए कुलचा तवे पर डालिये ऊपर की सतह थोड़ी गहरी होने के बाद कुलचा पलटिये,निचली सतह पर हल्की ब्राउन चिति आने पर,ऊपरी सतह पर थोड़ा घी या तेल लगाइये और पलटिये,दूसरी सतह पर भी घी या तेल लगा दीजिये।कुलचे को दोनों और से ब्राउन चिति आने तक सेक लीजिये। सरे कुलचे इसी तरह बनाने है।

आलू भरे कुल्चे गरमा गरम ,दही ,चटनी या छोले और आचार के साथ परोसिए और खाइये।



कुल्चा
 को ओवन में बनाने के लिए 

ऊपर बताए गये तरीके से कुल्चा बेल कर तैयार कीजिये। ट्रे में तेल लगाकर चिकना कीजिये,बेला गया कुल्चा ट्रे में रखिये। जीरा की सतह को ऊपर करते हुऐ कुल्चा ट्रे में रखिये। ओवन को 300 सेग्रे पर पहले से गरम कीजिये कुल्चे की ट्रे ओवन में रखिये। 2 मिनट में कुल्चा  फूल जाता है,कुल्चा पलटिये और दूसरी ओर हलकी ब्राउन चित्ती आने तक सेक लीजिये। सीके कुलचे को निकलकर किसी प्लेट में किचन नैपकिन पेपर बिछाकर रखिये। सारे कुलचे इसी तरह बनाकर तैयार कर लीजिये

गरम गरम कुलचा बना कर खिला रही है,तब ओवन से निकालकर , कुलचा (bharwan kulcha) खाने वाले की प्लेट में रखिये ,मटर के छोले ,चने के छोले।,दही,चटनी और आचार के साथ परोसिये और खाइये

राजमा (red kidney beans)


राजमा पंजाबी का पसंदीदा भोजन है राजमा में प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है हम भी इसे बना रहे है लेकिन बिना प्याज के 

राजमा की सामग्री 
राजमा-125 ग्राम (एक कटोरी)
खाना सोडा -एक चौथाई छोटी चम्मच 
टमाटर -250 ग्राम (3-4)
हरी मिर्च -2-3 
अदरक -1 इंच लम्बा टुकड़ा (एक छोटा चम्मच पेस्ट)
तेल -1 टेबल स्पून 
हींग -1 पिंच 
जीरा -एक चौथाई छोटी चम्मच 
हल्दी पाउडर -एक चौथाई छोटी चम्मच
धनिया पाउडर -1/2 छोटी चम्मच 
लाल मिर्च पाउडर -एक चौथाई छोटी चम्मच 
गरम मसाला -एक चौथाई छोटी चम्मच 
निम्बू -1 
हरा धनिया -1 टेबल स्पून (बारीक़ कटा हुआ)
राजमा बनाने विधि 
राजमा को 8-10 घंटे पहले पानी में भिगो दे भीगे हुए राजमा को धो कर कुक्कर में डाले 1 छोटा गिलास पानी,आधा छोटी चम्मच खाने का सोडा और स्वादानुसार नमक मिला कर कुकर का ढकन बंद करदे और राजमा पकने के लिए गैस पर रखे कुकर में एक सिटी आने के बाद गैस धीमी कर दे और धीमी गैस पर 7-8 मिनट राजमा पकने दे गैस बंद कर दे कुकर खुलने तक मसाला तेयर कर लेते है टमाटर,हरी मिर्च और अदरक को मिक्सी से पीस कर बारीक़ पेस्ट बना ले पैन में तेल डाल कर गरम करे तेल में हींग और जीरा डाल दे जीरा ब्राउन होने के बाद हल्दी पाउडर,धनिया पाउडर,लाल मिर्च पाउडर डाल कर चलाए और,अब टमाटर का पेस्ट डाल दे मसाले को जब तक भुने तब तक की मसाले के ऊपर तेल न तेरने लगे मसाला तैयार है अब तक कुकर का प्रेशर भी खत्म हो गया है कुकर खोल कर राजमा को तैयार मसाले में,मिला दीजिये अगर आप को लग रहा है की राजमा में पानी की मात्रा कम है तो आवशयनुसार पानी मिलादे उबाल आने के बाद 2-3 मिनट तक राजमा को बनने दे गैस बंद कर दे गरम मसाला,निम्बू का रस और हरा धनिया राजमा में मिला दे 
राजमा तैयार है,बाउल में निकाल ले हरा धनिये ऊपर से सजाए गरमा गरम राजमा चपाती,नान के साथ और राजमा चावल तो बहुत ही अच्छे लगते है परोसे और खाइये

(मिडियम प्याज को बारीक़ काटे और तेल गरम होने पर हींग नहीं डाले,सिर्फ जीरा डाल कर ब्राउन करे और अब कटे हुए प्याज डाल कर हल्के ब्राउन होने तक भुने अब सभी मासले उपरोक्त तरीके से डाल कर भुने,और ऊपर दी गई विधि से राजमा बनाए)

अनानास जैम (pineapple jam)

अनानास जैम 

अनानास को छीलना मुश्किल होता है लेकिन बाजार में अनानास बेचने वाले अनानास को आप के लिए छील देते है यदि छिला हुआ अनानास मिल जाए तो जैम बनाना बहुत आसान होता है

अनानास जैम  की सामग्री 
अनानास 1 किग्रा 
चीनी 1 किग्रा (4 कप)
नींबू 2 दाल चीनी 1 इंच के 2 टुकड़े जाय फल 1/4 छोटी चम्मच 
अनानास जैम  बनाने की विधि 
अनानास को छील कर छोटे टुकड़ो में काट लीजिये कि वह मिक्सर से पीसे जा सके अनानास को मिक्सचर में डालकर पीस लीजिये किसी कांच के बर्तन में पिसा अनानास और चीनी को मिलाकर,1 घंटे के लिए ढ़ककर,रख दीजिये,चीनी काफी मात्रा में अनानास के रस में घुल जाती है स्टील की कढ़ाई में पाइन एप्पल और चीनी के मिक्सचर को पकाने के लिए आग पर रखिये चम्मच से थोड़ी थोड़ी देर में चलाते रहिये ताकि मिक्सचर कढ़ाई में न लगे मिक्सचर में उबाल आने और चीनी पूरी तरह घुल जाने के बाद,मिक्सचर को गाड़ा होने दीजिये,टेस्ट के लिए थोड़ा सा मिक्सचर  चम्मचे से निकाल कर प्लेट में गिराइये ऊँगली और अंगूठे के बीच चिपका कर देखिये,अगर मिक्सचर तार निकालते हुए ऊँगली से चिपकता है तब जैम बन चुकी है,आग बंद कर दीजिये अनानास जैम ठंडा होने के बाद गडा हो कर सेट हो जाता है  चमचे से गिराने पर थक्के के रूप में गिरता है दाल चीनी और जाय फल को कूट कर,पाउडर बनाकर जैम में डालकर मिला दीजिये,निम्बू का रस निकाल कर जैम में मिला दीजिये जैम को रखने के लिए काच की बोतल को गरम पानी से धोकर स्टरलाइज़ कर लीजिये और सूखा लीजिये इन कांच की बोतल में जैम भर कर रख लीजिये जैम को एक बड़ी बोतल के बजाए छोटी कई बोतलों में रखना अधिक सही होता है

 अनानास जैम को चपाती या पराठे के साथ,ब्रेड की सैंडविच बनाकर,केक में मिलकर,ब्रेड के अंदर भरकर बेक करके जैसे जी चाहे खाइये

आम का मुरब्बा (raw mango murabba)



कच्चे आमो से कई प्रकार के अचार,चटनी और मुरब्बा बनाए जाते हैं जिन्हे हम साल भर तक रख कर खाने के प्रयोग में लाते रहते है  ,बच्चो को मीठे अचार और मुरब्बा बहुत पसंद आते है,तो आइये आज आम का मुरब्बा बनाए मुरब्बा बनाने के लिए,बिना रेशे के अच्छे,सख्त आम ही अच्छे रहते है


आम का मुरब्बा बनाने की सामग्री 


आम-1 किग्रा (7-8)
नमक -2 छोटी चम्मच
केसर-एक चौथाई छोटी चम्मच (यदि आप चाहे तो ही ले)
चीनी-1 किग्रा
छोटी इलाइची-4-5

आम का मुरब्बा बनाने की विधि

आमो को धो कर,12 घंटो के लिए पानी में भिगो दीजिए,आमो को निकालिये,पानी सूखा लीजिए आमो को अच्छी तरह छील लीजिए,हरा छिलका बिलकुल न रहने पाये छिले हुए आमो से बड़े-बड़े टुकड़े काट लीजिये इन टुकड़े में फोर्क से छेद बना लीजिए एक बर्तन में इतना पानी लीजिए की आम उसमे डूबे रहे,पानी में नमक डाल दीजिये,कटे हुए आमो को इस पानी में डूबा कर,रात भर या 12 घंटो के लिए रख दीजिये नमक के पानी से आम निकाल कर,दो बार धोइये,चलनी में रखकर,पानी निकाल दीजिये किसी बर्तन में इतना पानी गरम कर के रखिये की आम उसमे डूब जाए,पानी में उबाल आने के बाद,आमो के टुकड़ो को पानी में डाल दीजिये,इन्हे 3-4 मिनट तक उबलने दीजिये आमो को चलनी में निकालिये और सारा पानी निकाल दीजिये अब किसी भगोने में आमो के टुकड़ो को केसर और चीनी के साथ मिला कर 2 दिन के लिए रख दीजिये,प्रत्येक 12 घंटे बाद चमचे से अच्छी तरह चला दीजिये चीनी का रस बन गया है,इस घोल को आम के टुकड़ो सहित गैस पर रख दीजिये,10-15 मिनट में चीनी का घोल गाढ़ा हो जाता है (चीनी का घोल इतना गाढ़ा हो जाए की उसे आप चमचे से प्लेट में एक बूंद गिराये और अपने हाथ के उंगली और अंगूठे के बिच चिपका कर देखे,और जब उगली और अंगूठे को अलग करे तो एक तार बनना चाहिए,इसे एक तार की चाशनी बोला जाता है) गैस बंद कर दीजिये
आम का मुरब्बा (mango murabba) बन चूका है,मुरब्बा को ठंडा होने के बाद,इलाइची छिल कर कूट लीजिये और इसे मुरब्बे में मिला दीजिये आम का खुशबू दार मुरब्बा किसी कांच या प्लास्टिक के कन्टेनर में भर कर रख दीजिये,साल भर तक,जब भी आपका मन हो पराठे के साथ मुरब्बा निकाल कर बच्चो को दीजिये,और आप भी खाइये 

सांबर

सांबर 
साबर परम्परागत तमिल भोजन का प्रमुख हिस्सा है गरमा गरम सांबर से भुने हुए मसालो की महक आपको अपनी और खींच ही लेगी चाहे चावल हो,वड़ा,डोसा,इडली,रवा इडली सांबर सभी के साथ खाया जाता है यह कई तरीके से बनाया जाता है इसमें विशेष सब्जिया कटहल (jack fruit) या मुनगा (drumstick) डालकर इसे अलग स्वाद भी दे सकते है इसे बनाने में अरहर (तुअर)की दाल और सब्जियो का प्रयोग किया जाता है यह स्वादिस्ट होने के साथ साथ पोस्टिक भी है तो आइये आज हम सांबर बनाए

 सांबर बनाने की सामग्री 
अरहर की दाल-100 ग्राम (एक छोटी कटोरी)
लोकि-250 ग्राम(कटे हुए टुकड़े एक कटोरी)
बेंगन-1-2 छोटे 
भिंडी-4-5 
टमाटर-3-4 
हरी मिर्च-2 अदरक-1/2 इंच लम्बा टुकड़ा 
इमली का पेस्ट-1 छोटी चम्मच (यदि आप चाहे तो)
नमक स्वादानुसार

सांबर मसाला पाउडर की सामग्री 
लाल मिर्च-3-4 
धनिया-1 तबेल स्पून 
मेथी के दाने-1 छोटी चम्मच 
हल्दी पाउडर-1/2 छोटी चम्मच 
चना दाल-1 छोटी चम्मच 
उरद दाल-1 एक छोटी चम्मच हींग-2 पिंच 
जीरा-आधा छोटी चम्मच 
काली मिर्च-आधा छोटी चम्मच 
तेल- छोटी चम्मच 

सांबर के तड़के के लिए सामग्री 
तेल-1-2 टेबल स्पून 
राइ-1 छोटी चम्मच 
करी पत्ता-7-8 
विधि 
अरहर की दाल को धोकर 1-2 घंटे के लिए पानी में भिगो दीजिये (दाले पहले से पानी में भिगो कर पकाने से जल्दी पकती है,और स्वादिस्ट भी हो जाती है) 

सांबर पाउडर बनाने की विधि 
कढ़ाई में एक छोटी चम्मच तेल डालकर गरम कीजिये चना उरद दाल,और मेथी के दाने डाल कर हल्का ब्राउन होने तक भूनिये जब ये हलके भून जाए तो इसमें धनिया,जीरा,हींग,हल्दी पाउडर,धनिया,काली मिर्च और लाल मिर्च मिला कर थोड़ा और भूनिये ठंडा कीजिये और पीस लीजिये सांबर मसाला पाउडर आप इस्तेमाल के लिए एकसाथ भी बना कर रख सकते है,लेकिन अधिक समय तक रखे गए पिसे मसाले अपनी महक खो बैठते है ताजा भुने हुए मसालों से बनी सांबर में जो स्वाद और महक होती है वह अधिक समय तक रखे मसलो से नहीं आती 
टमाटर,हरी मिर्च और अदरक को पीस कर पेस्ट बना लीजिये 
दाल को कुकर में दुगने पानी के साथ डालिये,एक सीटी आने के बाद 4-5 मिनट तक धीमी गैस पर पकाइये,गैस बंद कर दीजिये 
लोकि,बेंगन और भिंडी को धोकर 1 इंच लम्बे टुकड़ो में काट लीजिये स्वाद के अनुसार नमक और 3-4 टेबल स्पून पानी डाल कर,सब्जिये के नरम होने तक पकने दीजिये 
कड़ाई में तेल डाल कर गरम कीजिये गरम तेल में राई तड़कने के बाद करी पत्ता डाल कर भूनिये अब टमाटर का पेस्ट डाल कर तब तक भूनिये जब तक की मसाले के ऊपर तेल न तेरने लग जाए अब इस मसाले में संबर मसाला डाल कर 1 मिनट भुन लीजिये 
कुकर का प्रेशर ख़तम होने के बाद,कुकर खोलिये,दाल को मेस कर लीजिये,दाल में टमाटर का भुना हुआ मसाला,और सब्जिया मिलाइये,आपको जितना गड़ा संबर चाहिए,उसके अनुसार पानी डाल दीजिये,नमक और इमली का पेस्ट मिला दीजिये उबाल आने के बाद सांबर को 3-4 मिनट तक पकाइये सांबर बनाकर तैयार हो गया है 
सांबर को किसी बाउल में निकालिये,हरे धनिये के पत्ते से सजाए,गरमा गरम सांबर इडली,डोसा या अपने मन पसंद रेसिपी के साथ परोसिये और खाइये 

चंदन वृक्ष - (Sandal Wood )

चंदन वृक्ष 
भारतीय चंदन (Santalum Album) का संसार में सर्वोच्च स्थान है। इसका आर्थिक और धार्मिक महत्व भी है। यह पेड़ हमारे देश में मुख्यत: कर्नाटक के जंगलों में मिलता है दक्षिण भारत में चंदन बहुतायत से पैदा होता है।भारत के 600 से लेकर 900 मीटर तक कुछ ऊँचे स्थल और मलयद्वीप इसके मूल स्थान हैं। पेसिफिक चंदन ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में पैदा होता है। चीन,मलेशिया और इंडोनेशिया में भी चंदन पाया जाता है। मलयालम, संस्कृत और हिंदी भाषा में इसे 'चंदन' कहते हैं। कन्नड़ में श्रीगंधा और गुजराती में सुकेत। वनस्पति शास्त्री इसे सेंटलम अल्यम कहते हैं जो सेंटलेसी परिवार का सदस्य है। काफी समय तक चंदन का पौधा भारत का मूलवासी माना गया मगर अब वैज्ञानिकों के अनुसार चंदन इंडोनेशिया का मूलवासी है। वहां पर तीन प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं। चंदन के हरे पेड़ में खुशबू नहीं होती है। वास्तव में चंदन के पेड़ की पक्की लकड़ी जिसे हीरा कहा जाता है उसमे ही खुशबू होती है। इस की खुशबू से आकर्षित हो कई बार सांप भी इससे लिपटे मिलते है चंदन की लकड़ी का प्रयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है। चंदन की लकड़ी का उपयोग नक्काशी के सुंदर काम के लिए भी किया जाता है। नक्काशी से सुंदर, कलात्मक मूर्तियां, खिलौने और दूसरे सजावटी सामान वर्षों से भारत में बनते और बिकते रहे हैं। मैसूर, सागर, भरतपुर और काठियावाड़ में इस हस्तशिल्प के कारीगर आज भी अपना हस्तकौशल दिखा रहे हैं। चंदन चार प्रकार का माना जाता है। सफेद, लाल, मयूर और नाग चंदन

चन्दन वृक्ष की खेती के लिए आवश्यक निर्देश 

चंदन के पेड़ लाल मिट्टी में अच्छी तरह से उगता है। इसके अलावा चट्टानी मिट्टी, पथरीली मिट्टी या चूनेदार मिट्टी में भी ये पेड़ उग जाता है। हालांकि, गीली मिट्टी और ज्यादा मिनरल्स वाली मिट्टी में ये पेड़ तेजी से नहीं उग पाता। अप्रैल और मई का महीना चंदन की बुवाई के लिए सबसे अच्छा होता है। पौधे बोने से पहले अच्छी और गहरी जुताई करनी जरूरी है। अगर आपके पास काफी जगह है तो एक खेत में 30 से 40 सेमी की दूरी पर चंदन के बीजों को बो दें। मानसून के पेड़ में ये पौधे तेजी से बढ़ते हैं, लेकिन गर्मियों में इन्हें सिंचाई की जरूरत है। चंदन के पेड़ को 5 से 50 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर वाले इलाके में लगाना सही माना जाता है। इस वृक्ष को उगाने के लिये ढालवाँ जमीन, जल सोखनेवाली उपजाऊ चिकली मिट्टी तथा 500 से लेकर 625 मिमी. तक वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। चंदन के वन में कोई सुगंध या खुशबू नहीं आती है। चंदन के पेड़ में साल में दो बार नई कोपलें, फल और फूल आते है। बरसात के पहले और बरसात के बाद चंदन के पेड़ फलों और फूलों से लदकर पूरे वन को एक नई आभा से युक्त कर देते हैं यह एक सदाबहार पेड़ है जो मूल रूप से परजीवी होता है। इस पौधे की जड़ें हॉस्टोरिया के सहारे दूसरे पेड़ों की जड़ों से जुड़कर भोजन, पानी और खनिज पाती रहती है। चंदन के परपोषकों में नागफनी, नीम, सिरीस, अमलतास, हरड़ आदि पेड़ों की जड़ें मुख्य हैं। चंदन इन पेड़ों के आसपास ही उगते हैं। लेकिन चंदन का पेड़, स्माइक रोग हो जाने पर जल्दी मर जाता है।


चन्दन वृक्ष का धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्त्व 

लाल चंदन
अगर घर में चन्दन का पेड़ लगा हो तो घर में कभी वास्तु दोष नहीं होता है और परिवार भी रोगमुक्त रहता हैं घर की पश्चिम या दक्षिण दिशा में चंदन का पेड़ लगाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। संस्कृत साहित्य में ' लाल चंदन ' का अनेक बार उल्लेख हुआ है। पूजा-पाठ में इसका प्रयोग होता है रक्त चंदन एक अलग जाति का पेड़ है जिसकी लकड़ी लाल होती है लाल रंग का होने की वजह से इसे रक्त चंदन भी कहते हैं  लेकिन उसमे सफ़ेद चंदन की तरह कोई महक नहीं होती लाल चंदन की लकड़ी अन्य लकड़ियों से उलट पानी में तेजी से डूब जाती हैं क्योंकि इसका घनत्व पानी से ज़्यादा होता है यही असली रक्त चंदन की पहचान होती है चंदन के पेड़ों को प्राचीन काल से उनके पीले रंग के अंत:काष्ठ के लिए उगाया जाता रहा है जो दाह संस्कारों और धार्मिक कर्मकांडों में मुख्य भूमिका निभाता था 

अगर आपको सूर्य से संबंधित कोई गृह दोष है तो लाल चंदन की पूजा करें क्योंकि ऐसा करने से आपकी नौकरी में उन्नति का योग भी बनता है। बार-बार धन हानि हो रही है, व्यापार में लगातार घाटा हो रहा हो या आर्थिक संकट बना हुआ है तो गुरु पुष्य नक्षत्र के एक दिन पहले चंदन के पेड़ की जड़ पर चावल, जल अर्पित करें और धूप-दीप दिखाकर आमंत्रण दें आएं। दूसरे दिन यानी गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन उस पेड़ की एक छोटी सी लकड़ी लाकर एक लाल कपड़े में बांधकर घर के मुख्य द्वार के बीच में टांग दें। इससे आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार आने लगेगा। 'चन्दन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग' अर्थात चन्दन के पेड़ में शीतलता के कारण विषधारी सर्प लिपटे रहते है किन्तु चन्दन के वृक्ष पर सर्पो के विष का प्रभाव नहीं पड़ता है। यह चन्दन की विशेषता है। आयुर्वेद में चंदन को शीतल, शक्तिवर्धक, दंतक्षयनाशक और शरीर को शक्ति देने वाला माना गया है। कहा जाता है की देवलोक में भी चंदनासव, चंदन का शरबत आदि पिया जाता है। स्त्रियों के आलेपन, शृंगार, सुगंध और प्रसाधन के लिए चंदन का उपयोग ईसा के दो हजार वर्ष पूर्व से ही होता रहा है। आयुर्वेद में तमाम तरह की औषधियां बनाई जाती हैं चंदन के चूर्ण को कुछ विशेष तरह के पदार्थों में मिलाकर आयुवृद्धि की औषधियां बनाई जाती हैं ह्रदय रोग, त्वचा के रोग और मानसिक रोगों में चंदन के तेलों का खूब प्रयोग होता है सुगंध चिकित्सा और पंचकर्म में भी चंदन का प्रयोग किया जाता है



पूजा के हर कार्य में चन्दन की लकड़ी, चंदन का लेप और चंदन के इत्र का प्रयोग किया जाता है लोग अक्सर घर से निकलने से पहले या किसी धार्मिक काम में तिलक जरूर लगाते हैं. अक्सर लोग कुमकुम का तिलक लगाते हैं.वहीं कुछ लोग चंदन का टीका भी लगाते हैं नजरदोष से बचने के लिए रोज चन्दन का तिलक लगाना चाहिए इस तिलक को लगाने से मन को शांति मिलती है पीले चंदन का इस्तेमाल आम तौर वैष्णव मत को मानने वाले करते हैं जबकि रक्त चंदन शैव और शाक्त मत को मानने वाले अधिक प्रयोग करते हैं नियमित चन्दन का तिलक लगाने से आज्ञाचक्र सक्रिय हो कर शुभ फल देता है प्राचीन काल से ही शिवलिंग का अभिषेक भी चंदन से करने की परंपरा पाई जाती तिरुपति बालाजी के पूजा विधान ने हजारो सालो से चन्दन की लकड़ी का इस्तेमाल हो रहा है इस मंदिर को पूजा के लिए आने वाले समय में चन्दन नियमित रूप से मिलता रहे सिर्फ इसलिए तिरुपति बालाजी मंदिर ट्रस्ट अब चन्दन की खेती भी करता है बौद्ध धर्म में चंदन के प्रयोग से ध्यान करने की परंपरा बताई गई है चंदन की बनी अगरबत्तियां आपको कई बौद्ध मठो में जलती मिल जाएगी 

चन्दन वृक्ष का आर्थिक महत्त्व 


आमतौर पर किसान अपने बगीचों या खेतों के किनारे फलों के पेड़ लगाते हैं, ताकि सीजन आने पर उन्हें बेचकर मुनाफा कमाया जा सके। उनके लिए चन्दन का पेड़ एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है चंदन वृक्ष लगाने के बाद 5वें साल से लकड़ी रसदार बनना शुरू हो जाती है। 12 से 15 साल के बीच यह बिकने के लिए तैयार हो जाता है। चंदन के पेड़ की जड़ से सुगंधित प्रोडक्ट्स बनते हैं। इसलिए पेड़ को काटने के बजाए जड़ से ही उखाड़ा जाता है। उखाड़ने के बाद इसे टुकड़ों में काटा जाता है। ऐसा करके रसदार लकड़ी को कर लिया जाता है। एवरेज कंडीशन में एक चंदन के पेड़ से करीब 40 किलो तक अच्छी लकड़ी निकल जाती है। चन्दन वृक्ष की आयुवृद्धि के साथ ही साथ उसके तनों और जड़ों की लकड़ी में सुगन्धित तेल का अंश भी बढ़ने लगता है। तने की नरम लकड़ी तथा जड़ को जड़, कुंदा, बुरादा, तथा छिलका बेचा जाता है। इसकी लकड़ी का उपयोग मूर्तिकला, तथा साजसज्जा के सामान बनाने में और अन्य उत्पादनों का अगरबत्ती, हवन सामग्री, तथा सौंदर्य प्रसाधन के निर्माण में होता है। प्राचीन आसवन विधि द्वारा चन्दन की लकड़ी से सुगंधित तेल निकाला जाता है भारत में चंदन का तेल सौंदर्य प्रसाधन के रूप में मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, कन्नौज, लखनऊ, कानपुर आदि में खपता है। लगभग संपूर्ण तेल सौंदर्य प्रसाधनों में प्रयुक्त होता है। एक किलो तेल लगभग दो हजार रुपए में बिकता है और इसके निर्यात से प्रतिवर्ष करोड़ो रुपया प्राप्त होता है। आमतौर पर चंदन की लकड़ी 6 से 7 हजार रुपए प्रति किलो की दर से बिकती है अगर क्वालिटी अच्छी हो तो 10 हजार रुपए किलो तक दाम आसानी से मिल जाते हैं। लेकिन बड़ा हो जाने पर चोरी के भय से चन्दन वृक्ष की सुरक्षा करना अति आवयशक हो जाता है चंदन की लकड़ी की अवैध तस्करी से चन्दन के पेड़ तेजी से कम हो रहे है 


हमारे देश में लगभग सभी धर्मो के प्राचीन साहित्य,पुराण और ग्रंथो में चन्दन की लकड़ी का वर्णन मिलता है मैसूर के राजा टीपू सुल्तान ने 1792 में ही चंदन को 'राज वृक्ष ' घोषित कर दिया था। भारत में लगभग आठ हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चंदन की खेती होती है। बहुमूल्य वृक्ष होने के कारण अब तो इसकी खेती करने वाले किसानो के लिए बीमा की भी सुविधा उपलब्ध है हम बेशकीमती उत्तम चंदन की लकड़ी उत्पादन कर विदेशी मुद्रा भी कमा सकते है लेकिन अफ़सोस आज भी चन्दन की खेती के प्रति सरकारी रवैया उदासीन है धड़ल्ले से होती तस्करी और चोरी के कारण चन्दन के वृक्ष तेज़ी से घट रहे है वास्तव में चंदन हमारी संस्कृति का अंग रहा है। इसे सरकारी संरक्षण मिलना ही चाहिए। तभी ये बहुमूल्य वृक्ष लुप्त होने से बच पायेगा 

मूंग दाल का हलवा (moong dal ka halwa)

मूंग दाल का हलवा 

मूंग दाल के हलवे  की सामग्री 

मूंग की धुली हुई दाल -1 कप 
चीनी -1 कप 
दूध -1/2 कप 
घी देसी -आधा कप 
कटे हुए ड्राईफ्रूट -2 टेबल स्पून 
इलाइची पाउडर -एक छोटी चम्मच 

मूंग दाल का हलवा बनाने की विधि 

दाल को धोकर छलनी में ही 10 मिनट के लिए छोड़ दीजिए,अब एक कढ़ाई में आधा घी डालकर गरम करे,फिर उसमे दाल डालकर ब्राउन हो जाने तक अच्छी तरह से भून जाए,तब थोड़ा ठंडा होने पर,मिक्सी में दरदरा पीस ले 
दाल में से बचे घी को और कप में बचे हुए घी को भी कढ़ाई में दाल दे,अब दाल पाउडर को घी को भी कढ़ाई में डाल दे,अब दाल पाउडर को घी में दाल कर धीमी आंच पर दो मिनट और भून ले फिर दूध डाले जरुरत पड़े तो थोड़ा पानी डाल सकते है अब चीनी और इलाइची पाउडर डालकर अच्छी तरह से मिलाए और घी छोड़ने तक लगातार चलाते रहे तैयार हलवा में ऊपर से ड्राईफ्रूट डाल कर गर्मागर्म परोसे